आजकल अपने ही बच्चों की हिंदी से अनभिज्ञता और दूरी देख कर मन में चुभन सी होती है क्योंकि हिंदी से विमुख होना अपनी संस्कृति से भी विमुख करता है। सांस्कृतिक समृद्धि और पारंपरिक मूल्यों का स्पर्श न हो तो व्यक्तित्व पहचान विहीन हो चलता है।
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Hindi Diwas
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